ख़राब है CIBIL Score? हाई कोर्टने दिया बैंकोंको आदेश, जानिए पूरी खबर

by Akhi
CIBIL Score

CIBIL Score: अगर आप बैंक से लोन लेते है, और उस लोन का समय पर EMI नहीं भरते, तो आपका सिविल स्कोर खराब हो जाता है. इसके अलावा यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति के गारंटर बनते हैं जो लोन नहीं चुका पाता तो भी आपका सिविल स्कोर खराब होने के चांसेस है.

WhatsApp ग्रुप जॉइन
टेलिग्राम ग्रुप जॉइन

इस खराब सिविल स्कोर के कारण भविष्य में अगर आपको लोन की आवश्यकता होती है, तो बैंक आपको लोन देने से मना कर सकती है. कई बार लोग कठिन परिस्थितियों में मजबूरीसे लोन नहीं चुका पाते, ऐसे मामलों में हाई कोर्ट ने हाल ही में एक फैसला दिया है जो लोगों के हित में है.

हाई कोर्ट ने लिया बड़ा फैसला

अगर खराब सिविल स्कोर होने के कारण बैंक लोन देने से नकार देता है, तो हाई कोर्ट ने इसे लेकर एक बड़ा फैसला लिया है. जी हाँ हाई कोर्ट ने कहा है कि खराब सिविल स्कोर होने पर भी बैंक किसी के लोन आवेदन को रद्द नहीं कर सकता.

LIC के इस प्लान में सिर्फ 1358 रुपये जमा करने पर आपको मिलेंगे 25 लाख रुपए, अभी करे अप्लाई

जस्टिस पीवी कुंहीकृष्णन ने बैंकों को फटकार लगाते हुए कहा कि शिक्षा लोन जैसे मामलों में बैंकों को मानवीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और आवेदन पर विचार करना चाहिए.

हाई कोर्ट में वकील ने दिया यह तर्क

इस मामले में याचिकाकर्ता एक स्टूडेंट है, जिसने दो लोन लिए थे. इनमें से एक लोन का ₹16,000 अभी बाकी है और दूसरा लोन बैंक ने बट्टा खाते (डूबत खाता) में डाल दिया है. इसके कारण याचिकाकर्ता का सिविल स्कोर खराब हो गया है.

छात्र के वकील ने हाई कोर्ट में दलील दी कि यदि तुरंत सहायता नहीं मिली, तो छात्र बड़ी मुश्किल में पड़ जाएगा. वकील ने प्रणब एस.आर. बनाम शाखा प्रबंधक और अन्य 2020 का भी हवाला दिया.

इस मामले में कोर्ट ने माना था कि छात्र के माता-पिता का खराब सिविल स्कोर शिक्षा लोन देने से मना करने का कारण नहीं हो सकता है. कोर्ट ने कहा कि छात्र की पढ़ाई पूरी होने के बाद उसकी लोन चुकाने की क्षमता ही लोन स्वीकृत करने का सही आधार होना चाहिए.

याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट में यह बताया कि ,छात्र को एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में नौकरी का प्रस्ताव मिल गया है. इससे वह छात्र पूरा कर्ज चुकाने में समर्थ होगा. वही प्रतिवादी पक्ष के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत देना भारतीय बैंक संघ और रिजर्व बैंक की गाइडलाइंस के खिलाफ होता है.

इसके अलावा उन्होंने यह भी दलील दी कि क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनी अधिनियम, 2005, क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनी नियम, 2006 और भारतीय स्टेट बैंक द्वारा जारी परिपत्र के अनुसार, कम सिविल स्कोर के कारण लोन देने पर रोक है.

हाई कोर्ट ने इस मामले में वास्तविक परिस्थितियों पर विचार करते हुए‌ फैसला लिया है. कोर्ट ने इस बात का‌ भी ध्यान रखा कि याचिकाकर्ता ने ओमान में नौकरी प्राप्त कर ली है.

इसलिए कोर्ट ने कहा कि सुविधाओं का संतुलन याचिकाकर्ता के पक्ष में है, और केवल खराब सिविल स्कोर के आधार पर शिक्षा लोन का आवेदन अस्वीकार नहीं किया जा सकता.

CIBIL Score को लेकर RBI के 5 जरूरी नियम

  • भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने CIBIL स्कोर से जुड़ी कुछ जरूरी गाइडलाइंस जारी की हैं, जिन्हें हर ग्राहक को जानना आवश्यक है.
  • जब भी कोई बैंक या एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी) ग्राहक का क्रेडिट स्कोर चेक करे, तो इसकी जानकारी ग्राहक को SMS या ईमेल के जरिए देनी होगी.
  • अगर किसी ग्राहक की लोन रिक्वेस्ट रिजेक्ट होती है, तो बैंक को कारण बताना होगा ताकि ग्राहक समझ सके कि उसकी रिक्वेस्ट क्यों अस्वीकार हुइ है.
  • क्रेडिट कंपनियों को हर साल ग्राहकों को उनकी फ्री क्रेडिट रिपोर्ट उपलब्ध करानी होगी, इसके लिए उन्हें अपनी वेबसाइट पर एक लिंक देना होगा, ताकि ग्राहक आसानी से अपनी रिपोर्ट चेक कर सके.
  • अगर कोई ग्राहक डिफॉल्ट करने वाला है, तो बैंक या लोन देने वाली संस्था को पहले उसे इसकी जानकारी देनी होगी, यह सूचना SMS या ईमेल के जरिए दी जा सकती है. इसके अलावा बैंक और क्रेडिट कंपनी को “नोडल अफसर” रखना होगा, जो ग्राहकों की क्रेडिट स्कोर से जुड़ी समस्याएं सुलझाने में मदद करेगा.
  • क्रेडिट कंपनी को 30 दिनों के अंदर ग्राहक की शिकायत का समाधान करना होगा.
  • अगर 30 दिन में शिकायत का समाधान नहीं होता, तो हर दिन ₹100 का जुर्माना लगेगा.
  • बैंक को क्रेडिट ब्यूरो को 21 दिनों के भीतर जानकारी देनी आवश्यक है.
  • क्रेडिट ब्यूरो को 9 दिनों के भीतर शिकायत का निवारण करना होगा, अगर ऐसा नहीं होता, तो बैंक या क्रेडिट ब्यूरो को भुगतान देना पड़ेगा.

Join WhatsApp

Join Now

Leave a Comment